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श्री रणजीत हनुमान जी मंदिर

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॥ श्री राम स्तुति॥

श्री राम चंद्र कृपालु भज मन, हरण भव भय दारुणं।
नव कंज लोचन कंज मुख, कर कंज पद कंजारुणम्॥
कंदर्प अगणित अमित छवि, नव नील नीरद सुंदरम्।
पट पीत मानहु तडित रुचि, शुचि नोमि जनक सुतावरम्॥

श्री रणजीत हनुमान जी मंदिर

श्री रणजीत हनुमान मंदिर की स्थापना लगभग 132 वर्ष पुरानी मानी जाती है। यहां के प्रथम संस्थापक पुजारी स्वर्गीय श्री भोलाराम जी श्रीमाली व्यास थे। उनके पश्चात, स्वर्गीय श्री गोपी किशन जी श्रीमाली, स्वर्गीय श्री त्रिलोकी नाथ जी श्रीमाली, और वर्तमान में उनके परिवार के पंडित संजय, पंडित दीपेश, पंडित नितेश एवं पंडित रितेश व्यास पूजा-अर्चना का कार्य कर रहे हैं। 1985 तक मंदिर आना अत्यंत साहसिक कार्य माना जाता था, क्योंकि उस समय बियाबानी के आगे आबादी न के बराबर थी और मंदिर के चारों ओर घना जंगल था। मंदिर स्थित कुएं का जल अत्यंत औषधि कारक हुआ करता था। पुजारी एवं भक्तगण प्रार्थना एवं संध्या के समय इसी जल से स्नान किया करते थे। संपूर्ण मंदिर प्रांगण में सर्वत्र चंदन के पेड़ हुआ करते थे, और जंगल में सांप-बिच्छू जैसे जीवों का सामना भी होता था। ऐसे वातावरण में वर्षों तक केवल चंद भक्त एवं पुजारी ही बाबा के पूजन में लीन रहते थे।

मंदिर के विकास को तीन कालखंडों में विभाजित किया जा सकता है। प्रथम कालखंड प्रारंभ से 1960 तक का था। 1960 तक बाबा की प्रतिमा महज एक कमरे नुमा घर में विराजित थी और इक्का-दुक्का भक्त ही आते थे। दीप्ति कालखंड वर्ष 1960 के बाद शुरू हुआ, जब रंजीत बाबा के मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया। गर्भगृह के ऊपर से पत्रे हटाकर गार्डन फसी की छत डाली गई और परिक्रमा मार्ग बनाया गया। मंदिर के पट द्वार समय-समय पर बंद और खुलते रहते थे। 1970 के आसपास चतुर्भुज दादा और अन्य भक्तों ने मिलकर शिवजी का मंदिर बनवाया। इसके बाद राम मंदिर का निर्माण भी हुआ, जिससे मंदिर में भक्तों की संख्या बढ़ने लगी। 2000 के दशक में मंदिर के नीचे विभिन्न मंदिरों को एक ही छत के नीचे लाया गया और आरसीसी छत डाली गई।

2005 में जिला प्रशासन ने कोर्ट के आदेश के बाद मंदिर को अपने नियंत्रण में लिया और मंदिर के पुनरुद्धार की योजना तैयार की गई। तत्कालीन कलेक्टर श्री विवेक अग्रवाल और अन्य अधिकारियों के सहयोग से मंदिर के सामने का भव्य गेट बनाया गया, बगीचे का निर्माण हुआ, और अन्य विकास कार्य शुरू किए गए। 2013 में मंदिर के प्रशासक श्री मनीष सिंह के कार्यभार संभालने के बाद मंदिर का चहुंमुखी विकास प्रारंभ हुआ। वृक्षारोपण, लाइटिंग, भक्तों के लिए शुद्ध जल के लिए बड़ा आरो प्लांट, पुजारी और कर्मचारी निवास का निर्माण किया गया। वर्तमान में प्रतिदिन लगभग 500 भक्त यहां निशुल्क शुद्ध भोजन प्राप्त करते हैं और अन्नदान के लिए भक्तजनों द्वारा दान भी दिया जाता है।

मंदिर की प्रमुख विशेषता यहां का भक्त मंडल है, जो सभी कार्यों में प्रशासन के साथ तन-मन-धन से अपनी सेवाएं अर्पित करता रहता है। राम मंदिर में राम जी का सिंहासन 41 किलो चांदी से बनाया गया है। वर्तमान में कलेक्टर श्री आशीष सिंह के निर्देशन में, विभिन्न विकास कार्य किए जा रहे हैं, जैसे बाबा के गर्भगृह का 500 किलो चांदी से निर्माण, मंदिर का सौंदर्यीकरण, और भक्तों की सुविधा हेतु विभिन्न कार्य।

॥ स्वागत संदेश॥

मंदिर उन सभी के लिए एक पवित्र स्थल है जो अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति और जीवन में शांति और संतोष की तलाश में हैं। इस ऐतिहासिक और चमत्कारिक स्थल के संरक्षक होने पर गर्व है और यहां आने वाले हर भक्त का स्वागत किया जाता है।